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दैविक
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दैव
Meanings: 112; in Dictionaries: 13
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مُقدَس
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ദിവ്യമായ
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தெய்வ கிருபை
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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దైవ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ದೈವ
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godly
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দৈব
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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ਦੇਵ
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दैवी
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मोदाइनि
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divine
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ଦୈବୀ
Meanings: 4; in Dictionaries: 1
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દૈવી
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দৈৱিক
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दैवर्हाट
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दैवर्हाटी
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देहीं देवपण आणणें
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देहीं देवपण दाखविणें
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देहीं देवपण येणें
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तापत्रय
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देविक
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जळलें तें कश्मल, उरलें तें कांचन
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ज्योति:शास्त्राधारे पाहण्याच्या गोष्टी
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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एकनाथी भागवत - श्लोक ४१ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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casual
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प्रालेय
Meanings: 8; in Dictionaries: 3
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विनय पत्रिका - गंगा स्तुति ३
विनय पत्रिकामे, भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
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विनय पत्रिका - विनयावली ३९
विनय पत्रिकामे, भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
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विनय पत्रिका - विनयावली १७१
विनय पत्रिकामे , भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
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विनय पत्रिका - विनयावली १२६
विनय पत्रिकामे , भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
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विनय पत्रिका - विनयावली १८४
विनय पत्रिकामे , भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
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पूजा विधी - संकल्पम् तथा दिग्रक्षणम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान , पूजा , संध्या , देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
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हठयोगप्रदीपिका - भाग ३
हठयोग प्रदीपिका हठयोग से सम्बन्धित संस्कृत ग्रन्थ है। इसकी रचना गुरू गोरखनाथ के शिष्य स्वामी स्वात्माराम ने की थी।
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भीमदशक - ॥ समास तीसरा - सिकवणनिरूपणनामः ॥
३५० वर्ष पूर्व मानव की अत्यंत हीन दीन अवस्था देख, उससे उसकी मुक्तता हो इस उदार हेतु से श्रीसमर्थ ने मानव को शिक्षा दी ।
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स्त्रीपुरुषांचे विवाहोत्तर स्वातंत्र्य
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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विनय पत्रिका - श्री रंग स्तुती १
विनय पत्रिकामे, भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
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अध्याय ८९ वा - श्लोक २१ ते २५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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पूर्वभागः - अध्यायः ५
अठरा पुराणांमध्ये भगवान् शंकराची महान महिमा लिंगपुराणात वर्णिलेली आहे. यात ११००० श्लोक आहेत. प्रथम योग आणि नंतर कल्प असे विवेचन गुरू वेदव्यास यांनी या पुराणात सांगितले आहे. हा शिव पुराणाच पूरक ग्रंथ आहे.
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श्रीनृसिंहपूर क्षेत्र माहात्म्य - अध्याय ५
श्रीनृसिंहपूर क्षेत्राचे माहात्म्य वाचल्याने प्रत्यक्ष त्या क्षेत्री गेल्याचे पुण्य मिळते .
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विनय पत्रिका - विनयावली १८१
विनय पत्रिकामे , भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
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दासोपंताची पदे - पद १४८१ ते १५००
दासोपंतांच्या वंशजांचीं घराणीं हल्लीं जोगाईच्या आंब्यास व नागपुरप्रांतीं चंद्रपुराकडे नांदत आहेत. ॐ श्रीमदादिगुरवे सर्वज्ञाय स्वपक्षपालाय नमः ॥
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प्रायश्चित्तमयूख - प्रायश्चित्त २४ वे
विधिविहित नित्यकर्म (संध्यादि) न केल्यामुळे, पाप केल्याने व सुरा इत्यादि निषिद्ध पदार्थांचे सेवन केल्यानें त्याच्या शुद्धिसाठी जें कर्म सांगण्यात येतें तें प्रायश्चित्त होय.
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ब्रह्म
Meanings: 196; in Dictionaries: 11
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स्फुट पदें - पदे १०१ ते ११०
मध्वमुनीश्वरांची कविता
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हरिश्चन्द्र
भक्तो और महात्माओंके चरित्र मनन करनेसे हृदयमे पवित्र भावोंकी स्फूर्ति होती है ।
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विनय पत्रिका - विनयावली ६९
विनय पत्रिकामे, भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
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श्रीसूक्त लक्ष्मीपूजन - द्वितीय पूजा
दीपावली के पाँचो दिन की जानेवाली साधनाएँ तथा पूजाविधि कम प्रयास में अधिक फल देने वाली होती होती है और प्रयोगों मे अभूतपूर्व सफलता प्राप्त होती है ।
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देह
Meanings: 108; in Dictionaries: 10
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